अध्यक्ष के संबंध में
डॉ. के.वि. प्रभु, अध्यक्ष, पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण, भारत सरकार, नई दिल्ली के संबंध में
डॉ. के.वि. प्रभु ने अपना प्रोफेशनल कैरियर 1 अक्तूबर 1986 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में भा.कृ.अ.सं. क्षेत्रीय केन्द्र, टूटीकंडी (शिमला) में वैज्ञानिक (पादप प्रजनन) के रूप में आरंभ की जहां उन्होंने गेहूं और जौ में रतुआ प्रतिरोध के लिए रतुआ प्रतिरोध एवं प्रजनन की आनुवंशिकी पर कार्य किया। उन्होंने वर्ष 1992 में नई दिल्ली में संस्थान के मुख्यालय में पद्भार ग्रहण किया और सरसों प्रजनन के साथ-साथ गेहूं आनुवंशिकी पर भी कार्य जारी रखा। वर्ष 1997 में उन्हें नियंत्रित पर्यावरण में अनुसंधान सुविधा विकसित करने के लिए भारत की सहायता हेतु विश्व खाद्य संगठन (एफएओ) अध्येतावृत्ति (फैलोशिप) के अंतर्गत कनाडा में नियुक्त किया गया। भारत वापस आने के पश्चात् फरवरी 1998 में उन्हें संस्थान की राष्ट्रीय फाइटोट्रोन सुविधा में प्रबंधक जीवविज्ञान का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया जहां उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करते हुए देशभर में विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा किए जाने वाले सभी प्रयोगों का प्रबंध किया। वर्ष 1998 में उन्होंने हरित गृह सुविधाओं का उपयोग करके चावल आनुवंशिकी/प्रजनन में चावल समूह की सहायता की और बासमती चावल के प्रजनन में विशेष रूचि दर्शायी। जनवरी 2003 में उन्हें राष्ट्रीय फाइटोट्रोन सुविधा का सम्पूर्ण प्रभार सौंपा गया और यह कार्यभार उन्होंने वर्ष 2014 तक संभाला। डॉ. प्रभु भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के आनुवंशिकी संभाग के 11 जुलाई 2006 से 28 अक्तूबर 2013 तक अध्यक्ष रहे और 8 अक्तूबर 2013 को इन्होंने संयुक्त निदेशक (अनुसंधान), भा.कृ.अ.सं.,नई दिल्ली के पद का कार्यभार संभाला।
इन्होंने उच्च उपज की बासमती चावल के विकास में भारत में बासमती चावल को पुनः परिभाषित करने से संबंधित मुद्दे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इस कारण भारत के किसान अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपने प्रतिस्पर्धियों से प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करने में सफल रहे हैं। वे लगातार लगभग तीन वर्षों तक भारत सरकार के विभिन्न विभागों तथा मंत्रालयों में यह मुद्दा तब तक उठाते रहे जब तक वर्ष 2008 में वर्तमान परिभाषा को संशोधित नहीं कर दिया गया। उन्होंने 2007 से 2018 तक भा.कृ.अ.सं. के गेहूं और जौ सुधार कार्यक्रम का नेतृत्व भी किया। इनका फसल सुधार गतिविधियों में सक्रिय योगदान रहा जिसके परिणामस्वरूप 35 फसल किस्में विमोचित/अधिसूचित की गईं जिनमें से 8 किस्में बासमती चावल और भारतीय सरसों की; 17 किस्में गेहूं की और 2 जौ की हैं। ये किस्में भारत के बासमती के खेती वाले क्षेत्र के 75 प्रतिशत से अधिक भाग में, गेहूं के खेती वाले क्षेत्र के 40 प्रतिशत भाग में और सरसों की खेती वाले 45 प्रतिशत से अधिक भाग में उगाई जाती हैं। गेहूं की उनके द्वारा विकसित एक किस्म का भारत की 202 बीज कंपनियों के लिए लाइसेंस दिया गया है जो अभी तक सर्वाधिक है।
इन्हें देश में पादप प्रजनकों का दल विकसित करने के लिए सम्मानित किया गया है और इनमें से अनेक पादप प्रजनक अब अपने क्षेत्र में नेतृत्व कर रहे हैं। अपनी प्रोफेशनल कैरियर के दौरान इन्हें अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार जैसे जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार, भा.कृ.अ.प. सम्मान पुरस्कार 2008, इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन का प्लेटिनम जुबली पुरस्कार, डॉ. बी.पी. पाल पुरस्कार, वी.एस. माथुर स्मारक पुरस्कार, नॉर्मन बोरलॉग पुरस्कार 2012, रफी अहमद किदवई पुरस्कार 2012 आदि से सम्मानित किया जा चुका है। ये वर्ष 2005 में राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (नास) के अध्येता (फेलो) चुने गए। अपनी अनुसंधान विशेषज्ञता के कारण इन्हें विभिन्न संस्थाओं और संगठनों जैसे संयुक्त राष्ट्र की एफएओ संस्था में विभिन्न उत्तरदायित्व सौंपे गए तथा चार अफ्रीकी देशों सहित लगभग 20 देशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में बासमती चावल की परिभाषा में सुधार करके भारत के बासमती चावल के निर्यात को दोगुना करने के साथ साथ चावल निर्यात में विश्व में प्रथम स्थान प्राप्त करने में समर्थ बनाने के योगदान को पहचानते हुए भारतीय अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार विकास संगठन द्वारा डॉ. प्रभु को प्रतिष्ठित अटल रत्न पुरस्कार 2019 से सम्मानित किया गया।
इन्होंने चार एम.एससी. और 20 पी.एच.डी. छात्रों का मार्गदर्शन किया है तथा आनुवंशिक और पादप प्रजनन विषय में अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा के मानक जर्नलों में 105 अनुसंधान पत्र प्रकाशित किए हैं।
डॉ. प्रभु ने पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण, कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अध्यक्ष (सचिव, भारत सरकार के समकक्ष) पद पर दिनांक 06 फरवरी 2018 को कार्यभार ग्रहण किया है।
पुरस्कार सूची:
- जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार - 1987
- भा.कृ.अ.प. सम्मान पुरस्कार - 2008
- अध्येता (फेलो), राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी
- इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन का प्लेटिनम जुबली पुरस्कार
- बी.पी. पाल पुरस्कार
- वी.एस. माथुर स्मारक पुरस्कार
- बोरलॉग पुरस्कार- 2012
- रफी अहमद किदवई पुरस्कार - 2012
- अटल रत्न पुरस्कार - 2019
विशेषज्ञता: गेहूं, ब्रैसिका और चावल प्रजनन Email: [email protected], [email protected] |